V.S Awasthi

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लिखते लिखते जीवन में कितने वर्ष व्यतीत हो गए

लिखते लिखते जीवन में कितने वर्ष व्यतीत हो गए।
लिखना मुझको आया ही नहीं,भाव भी कालातीत हो गए।।
अब क्या आगे लिख पाऊंगा, ये सोच रहा हूं मैं नित प्रति।
जीवन समाप्त होने वाला क्या शब्द मिलेंगे अब सम्मत।।
जन्म से लेकर अन्त समय तक मानव कुछ सीख ना पाता है।
सीखने में जीवन कट जाता जाने का समय आ जाता है।।
फिर क्यों हम पश्चाताप करें एक दिन तो जाना ही होगा।
जो सीखा है कुछ जीवन में उतना ही लिख जाना होगा।।
पथिक भटकता है पथ में पर कुछ भी खोज नहीं पाता।
जन्म से लेकर अन्त समय तक राहों में भटकता रह जाता।।

विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर

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1 Comments

जी श्रेष्ठ रचना।

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